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वेबसाइट आज के दिनों में एक बिज़नेस कार्ड है। यदि ये आपके पास नहीं है तो लोग आपको गंभीरता से नहीं लेते। डॉक्यूमेंट जिसमे वेब इनफार्मेशन स्टोर होती है उसे वेब पेज कहते हैं वेबसाइट ,वेब पेज का समूह होता है
वेब साइट्स के प्रकार
पर्सनल वेब साइट्स
कमर्शियल वेब साइट्स
आर्गेनाईजेशनल वेब साइट्स
वेबसाइट कई तरीकों से लोगों को आपसे जोड़ता है। आप लोगों से जानकारी इकट्ठी कर सकते हैं। उनकी प्राथमिकता को समझ सकते हैं और उनके सवालों के जवाब आसानी से दे सकते हैं।
वेबसाइट पर आप ई-कॉमर्स का इस्तेमाल करके अपने प्रोडक्ट्स को बेच सकते हैं।
वेबसाइट देखकर लोगों के मन में आपकी कंपनी की बड़ी छवि बनती है। वेबसाइट ना होने पर आप बाज़ार के महत्वपूर्ण अवसरों को खो भी सकते हैं। इसीलिए योजना बना कर इसे पूरा करें।
यदि वेबसाइट बनाने में पैसे की समस्या आड़े आ रही हो, तो ऐसे वेब डिज़ाइनर से एक सौदा करें जिसको आपकी सेवा की जरुरत हो। स्थानीय कॉलेज और स्कूल छात्रों से मिलें जो वेबसाइट बनाना जानते हों। वे कम खर्चों में वेबसाइट तैयार कर देंगे। एक अच्छी वेबसाइट की ढंग से मार्केटिंग की गई तो वो कारगर कीमत चुकाती है।
बनाएं अपनी वेबसाइट
डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन -
जैसे आप लोगों को अपने घर का एड्रेस बताते हैं। ठीक उसी तरह हर वेबसाइट का एड्रेस होता है। इससे यूजर्स ऑनलाइन पते को खोजकर आपकी वेबसाइट पर पहुंचेंगे। इसे तकनीकी भाषा में डोमेन नेम कहते हैं। सबसे पहले इसका रजिस्ट्रेशन कराना होता है। वेबसाइट डोमेन या यूनिक आइडेंटिटी की सुविधा पूरी दुनिया में एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन आइ कैन (आइसीएएनएन) के जरिए मिलती है।
वेब होस्टिंग (जगह लेना)-
आपको अपनी वेबसाइट पर पेज को डाटा स्टोर में सुरक्षित रखने के लिए जगह लेनी पड़ती है। अपनी जरूरत के मुताबिक आप वेबसाइट की जगह एमबी या जीबी में ले सकते हैं। आसान शब्दों में कहें तो यह प्रक्रिया किराये पर घर लेने जैसी है। साधारण वेबसाइट में होस्टिंग आसानी से होती है।
लेकिन यदि वेबसाइट में पन्ने या डाटा ज्यादा है तो इसके लिए दो तरीके हैं। पहला लाइनक्स दूसरा विंडोज। सामान्य तौर पर होस्टिंग लाइनक्स एप्लीकेशन पर होती है। यह वेबसाइट के लिए 1 जीबी स्टोरेज देता है। अभी होस्टिंग के लिए कंपनियां अलग-अलग ऑफर दे रही हैं। होस्टिंग की सुविधा न्यूनतम एक डॉलर यानी 60 रुपये से शुरू है। यदि आपकी वेबसाइट काफी बड़ी है तो आप डेडिकेटेट होस्टिंग की भी सुविधा कंपनियों से ले सकते हैं। इसके चार्ज काफी ज्यादा हैं।
डिजाइनिंग या फ्रंट पेज बनाना -
यह काम भी देश में कई कंपनियां करती हैं। हालांकि कई सॉफ्टवेयर हैं जिनसे आप खुद पेज या फ्रंटपेज बना सक ते हैं। ड्रीमवेवर या फ्रंटपेज जैसे सॉफ्टवेयर आपकी बखूबी मदद करेंगे।
वेबसाइट का प्रचार -
अब यह सबसे अहम पड़ाव है कि लोग आपकी वेबसाइट के बारे में जानें। इसके दो तरीके हैं पहला ऑनलाइन और दूसरा ऑफलाइन। ऑनलाइन के लिए आपको अपनी वेबसाइट को सर्च इंजन पर रजिस्टर्ड करना होगा। वैसे आजकल सर्च इंजन खुद ही आपकी वेबसाइट को खोज लेंगे लेकिन अगर आप वेबसाइट को सर्च इंजन पर दर्ज करेंगे तो यूजर्स के लिए काफी सुविधा होगी। यह सुविधा मुफ्त है।
प्रमुख सर्च इंजन -
गूगल, याहू, बिंग पर दर्ज करने के लिए लिंक -
वेबसाइट की मेंटनेंस -
आपको वेबसाइट पर सभी जानकारी स्पष्ट देनी चाहिए। कोई भी कटेंट अधूरा हुआ तो वेबसाइट पर आने वालों का विश्वास टूटता है। इसलिए यह ध्यान रखें। साथ ही वेबसाइट पर आगुंतकों का विश्लेषण भी करते रहें। गूगल एनालिटिक्स से यह विश्लेषण आसानी से हो सकता है।
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