Tuesday 3 January 2017

*3 जनवरी की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ*

*3 जनवरी *

ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार 3 जनवरी वर्ष का तीसरा दिन है। साल में अभी और 362 दिन शेष हैं। (लीप वर्ष में 363 दिन)

*3 जनवरी की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ*

1894 - रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन में 'पौष मेला' का उद्घाटन किया।

1901 - शांति निकेतन में ब्रह्मचर्य आश्रम खुला।

1929 - महात्मा गांधी लॉर्ड इरविन से मिले

1968 - देश का पहला मौसम विज्ञान राकेट 'मेनका' का प्रक्षेपण।

1993 - अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश एवं रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन द्वारा 'स्टार्ट द्वितीय' संधि पर हस्ताक्षर किया गया।

1995 - हरियाणा के डबवाली में एक स्कूल में लगी भीषण आग में 360 लोगों की मौत।

1998 - अल्जीरियाई इस्लामी विद्रोह में 412 लोगों की हत्या।

2000 - कलकत्ता का नाम आधिकारिक रूप से कोलकाता रखा गया।

2002 - काठमाण्डू में दक्षेस विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान बेनकाब, भारत ने आतंकवादियों व अपराधियों के ख़िलाफ़ सबूत सार्वजनिक किए।

2004 - 12वें सार्क सम्मेलन में भाग लेने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस्लामाबाद पहुँचे।

2005 - यूएसए ने तमिलनाडु में सुनामी पीड़ितों को साफ़ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 6.2 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की।

2007 - चीन की मारग्रेट चान ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक पद की कमान सम्भाली।

2008 -बिजली उपकरण इंडो एशियन फ्युजगीयर लिमिटेड ने उत्तराखण्ड में हरिद्वार में 40 करोड़ रुपये के निवेश से नया अत्याधुनिक विचारगियर संयंत्र खोलने की घोषणा की।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15 सदस्यीय टीम में लीबिया, वियतनाम, क्रोएशिया, कोस्टारिका और बुर्किनाफासो का पांच नये अस्थायी सदस्यों के रूप में चयन किया गया।

2009 - राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभा में विश्वास मत हासिल किया।

*3 जनवरी को जन्मे व्यक्ति*

🔴1831 -  *सावित्रीबाई फुले,* सामाजिक कार्यकर्त्ता, भारत में पहली महिला शिक्षक, और मराठी भाषा में पहली महिला कवियत्री।

1938 - जसवंत सिंह - प्रसिद्ध भारतीय राजनेता।

1941 - संजय खान - बॉलीवुड अभिनेता।

1977 - गुल पनाग - मॉडल, बॉलीवुड अभिनेत्री

1981 - नरेश अय्यर भारतीय पार्श्वगायक

1915 - चेतन आनंद, प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देश

1903 - जयपाल सिंह - भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक।

*3 जनवरी को हुए निधन*

1972- मोहन राकेश लेखक व नाटककार

2002 - सतीश धवन - भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक


2005- जे एन दीक्षित, भारतीय सरकारी अधिकारी।

2013 - एम. एस. गोपालकृष्णन - भारत के प्रसिद्ध वायलिन वादक।

1979- परशुराम चतुर्वेदी, विद्वान शोधकर्मी समीक्षक

1871 - कुरिआकोसी इलिआस चावारा - केरल के सीरियन कैथॉलिक संत तथा समाज सुधारक।

*3 जनवरी के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव*

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह।

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सावित्रीबाई फुले


पूरा नाम::सावित्रीबाई फुले

जन्म:;3 जनवरी, 1831
मृत्यु:::10 मार्च, 1897

मृत्यु कारण::प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।

अभिभावक;;;खन्दोजी नेवसे और लक्ष्मी

पति/पत्नी::ज्योतिबा फुले

नागरिकता::भारतीय

विशेष योगदान:: *विधवा विवाह करवाना, छुआछात मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना*।

अन्य जानकारी::

*सावित्रीबाई फुले एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।*


सावित्रीबाई फुले
(जन्म- 3 जनवरी, 1831;
मृत्यु- 10 मार्च, 1897)

भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं।

महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है।

उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।

ज्योतिराव, जो बाद में में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे।

 सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछात मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना।

वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।

*जन्म और परिवार*

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को हुआ था।

इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था।

सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था।

🔴*विद्यालय की स्थापना*

1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे शहर में।

🔴सामाजिक मुश्किलें

वे स्कूल जाती थीं, तो लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा देश में एक अकेला बालिका विद्यालय।

🔴महानायिका🔵

सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

*निधन*

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गयी।

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